आज उसका दीदार हो नही सकता तो क्या गम है
राह-ए-उलफत मे हमारा दिल आज भी है, ये क्या कम है!!
आज वो मेरे पास ना सही तो क्या गम है
वो ता-उम्र मेरी रूह मे समा गयी, ये क्या कम है!!
आज उसकी मुस्कान को देखे बिना भले ही वो सुकून-ए-मोहब्बत ना हो
पर मुझसे ज़्यादा चाहने वाला कोई उसके क़रीब है, ये सुकून क्या कम है!!
मेरी मोहब्बत की उसकी नज़र मे कोई कीमत नही तो क्या गम है
वो मेरी नज़रो मे आज भी बेश-कीमती नगीना है, ये क्या कम है!!
मैं उसके ज़हन मे एक भूला हुआ गीत ही सही तो क्या गम है
पर वो मेरे लिए आज भी सुरमई नज़्म है, ये क्या कम है!!
मेरी मोहब्बत मुक़म्मल हो ना सकी तो क्या गम है
मुझे मोहब्बत का मतलब समझ मे आ गया, ये क्या कम है!!
मैं उसके दिल मे ज़रा सी भी जगह नही बना पाया तो क्या गम है
पर उसे मैने अपने रब्ब की जगह दी, ये क्या कम है!!
उसने मेरे दिल से प्यार नही किया तो क्या गम है
पर मेरी क़ाबिलियत को चाहा, ये क्या कम है!!
वो मुझे दर्द-ए-तन्हाई देकर चली गयी तो क्या गम है
मौला ने आप जैसे प्यार करने वाले दोस्त दिए, ये क्या कम है!!
उसका हाथ आज मेरे हाथो मे नही तो क्या गम है
माँ-बाप का हाथ मेरे सिर पे है, ये क्या कम है!!
आज मेरी आँखों मे भले ही आँसू छुपे है तो क्या गम है
मेरे होठों पर आज भी एक मुस्कान है, ये क्या कम है!!
उसके बिना ज़िंदगी मुक़म्मल तो ना आज है, ना कल थी और ना कल होगी
पर मुझे यकीन है कि मेरा रब्ब मेरे साथ है, ये क्या कम है!!
For those who can't read Hindi
Aaj uska deedaar ho nahi sakta to kya gam hai
Rah-E-Ulfat me hamara dil aaj bhi hai, ye kya kam hai!!
Aaj wo mere paas na sahi to kya gam hai
Wo ta-umra meri rooh me sama gayi, ye kya kam hai!!
Aaj uski muskaan ko dekhe bina bhale hi wo sukoon-e-mohabbat na ho
Par mujhse zyada chahne waala koi uske qareeb hai, ye sukoon kya kam hai!!
Meri mohabbat ki uski nazar me koi keemat nahi to kya gam hai
Wo meri nazaro me aaj bhi besh-keemti nageena hai, ye kya kam hai!!
Main uske zehen me ek bhoola hua geet hi sahi to kya gam hai
Par wo mere liye aaj bhi sur-mayi nazm hai, ye kya kam hai!!
Meri mohabbat muqammal ho nahi saki to kya gam hai
Mujhe mohabbat ka matlab samajh me aaya, ye kya kam hai!!
Main uske dil me zara si bhi jagah nahi bana paaya to kya gam hai
Par use maine apne rabb ki jagah di, ye kya kam hai!!
Usne mere dil se pyaar nahi kiya to kya gam hai
Par meri qabiliyat ko chaha, ye kya kam hai!!
Wo mujhe dard-e-tanhai dekar chali gayi to kya gam hai
Maula ne aap jaise pyaar karne waale dost diye, ye kya kam hai!!
Uska haath aaj mere haatho me nahi to kya gam hai
Maa-baap ka haath mere sir pe hai, ye kya kam hai!!
Aaj meri aankhon me bhale hi aansu chupe hai to kya gam hai
Mere hothon par aaj bhi ek muskaan hai, ye kya kam hai!!
Uske bina zindagi muqammal to na aaj hai, na kal thi aur na kal hogi
Par mujhe yakeen hai ke mera rabb mere saath hai, ye kya kam hai!!