दिल की बात, कहकर क्यूँ मुझे रुला दिया
पहले ही मुझको तुमने दिल से क्यूँ ना भुला दिया
सीने से लगा ना सकती थी तुम अपने गर मुझको
तो इतना करीब आकर तुमने क्यूँ ठुकरा दिया
मैं तुझको पूजता था इस जहाँ मे
तेरा नाम रब का नाम था मेरी ज़ुबान पे
मेरे विश्वास को तूने इस क़दर क्यूँ हिला दिया
पहले ही मुझको तुमने दिल से क्यूँ ना भुला दिया
कुछ कमी थी मेरे प्यार मे जनता हूँ मैं
ख़ुदग़र्ज़ था शायद मैं ये भी मानता हूँ मैं
मेरी मोहब्बत को बर्बाद-ए-इश्क़ तूने क्यूँ क़रार दिया
पहले ही मुझको तुमने दिल से क्यूँ ना भुला दिया
मैं तेरी नज़र मे खाक हू बे-शक़, क़ुबूल है
पर ना कहना कभी मुझसे, मेरी मोहब्बत फ़िज़ूल है
ये बात कहकर तूने मुझे दिल से अपाहिज बना दिया
पहले ही मुझको तुमने दिल से क्यूँ ना भुला दिया
For those who can't read Hindi
Dil ki baat, kehkar kyu mujhe rula diya
Pehle hi mujhko tumne dil se kyu na bhula diya
Seene se laga na sakti thi tum apne gar mujhko
To itna kareeb aakar tumne kyu thukra diya
Main tujhko poojta tha is jahan me
Tera naam rab ka naam tha meri zuban pe
Mere vishwas ko toone is kadar kyu hila diya
Pehle hi mujhko tumne dil se kyu na bhula diya
Kuch kami thi mere pyaar me janta hu main
Khudgarz tha shayad main ye bhi manta hu main
Meri mohabbat ko barbad-e-ishq toone kyu qaraar diya
Pehle hi mujhko tumne dil se kyu na bhula diya
Main teri nazar me khaak hu be-shaq, qubool hai
Par na kehna kabhi mujhse, meri mohabbat fizool hai
Ye baat kehkar toone mujhe dil se apahij bana diya
Pehle hi mujhko tumne dil se kyu na bhula diya